Special Story : खंडहर में तब्दील एंग्लो इंडियन वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना, मॉडल के रूप में रखना चाहती थी भारत सरकार

सुहेल जैदी। रामपुर रियासत भारत गणराज्य में 15 मई 1949 को विलय हुई। इसके बाद से सरकार के कब्जे में आईं एंग्लो इंडियन वास्तुशिल्प का नमूना इमारतें अपनी दुदर्शा पर आंसू बहा रही हैं। किला स्थित मछली भवन में चल रहा राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय भी जर्जर हालत में है। किला पूर्वी और पश्चिमी गेट पर पीपल की जड़ें उन्हें खोखला कर रही हैं। सिंचाई विभाग का कार्यालय, मॉडल मांटेसरी स्कूल, एलआईयू कार्यालय, कलेक्ट्रेट की इमारतों की हालत बद से बदतर हो गई है। आजादी को 75 वर्ष गुजरने के बाद भी सरकार एक अदद कलेक्ट्रेट या फिर किसी डिग्री कालेज का निर्माण नहीं करा सकी है।

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हामिद मंजिल जहां से रियासत का राजकाज चलता था। फिलहाल, यह इमारत रजा लाइब्रेरी के नाम से प्रसिद्ध है।

15 मई 1949 को भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट्स के सलाहकार वीपी मैनन रामपुर आए और रियासत के विलय के समझौते (मर्जर एग्रीमेंट) पर मिस्टन मैनन ने गर्वनर जनरल ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि के रूप में और रामपुर रियासत की ओर से नवाब रजा अली खां ने हस्ताक्षर किए। एक जुलाई 1949 ई. से रियासत रामपुर का केंद्र में विलय स्वीकर कर लिया गया और इस दिन लैजिस्लेटिव असेंबली भंग कर दी गई। 17 मई को रामपुर स्टेट का असाधारण गजट जारी हुआ। गजट में नवाब रामपुर और भारत सरकार के बीच हुए समझौते को शामिल किया गया। 

नवाबी दौर में बना किला में अधिकतर भवन भारत सरकार को दे दिए गए। सरकार ने उन भवनों में सरकारी कार्यालय एवं स्कूल कालेज खुलवा दिए। किले की महल सराय में प्राथमिक विद्यालय, राजकीय खुर्शीद कन्या इंटर कालेज, राजकीय बालिका इंटर कालेज, महिला आईटीआई, पुराने पुस्कालय में आईटीआई, मछली भवन में राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय स्थित है। इसके अलावा राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय भी नवाब हामिद अली खां द्वारा वर्ष 1896 में बनवाई गई इमारत में है। 

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 किला स्थित मछली भवन जिसमें राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय संचालित है।

इन भवनों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है इन पर रंग पालिश भी नहीं हुआ है। जिसके कारण इनकी स्थिति दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। यदि समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो रियासतकालीन इमारतें मिट्टी में मिल जाएंगी। एंग्लो इंडियन वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूनों को बचाने के लिए प्रयास किया जाना जरूरी है। नवाब स्टेशन जोकि नवाब के वंशजों की संपत्ति है लेकिन, बदहाल है। हालांकि, यहां नवाब रजा अली खां की ट्रेन के कुछ डिब्बे आज भी खड़े हैं। हामिद मंजिल में विश्व प्रसिद्ध रामपुर रजा लाइब्रेरी है।

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रामपुर के नवाब रेलसे स्टेशन पर खड़ी नवाब रामपुर की ट्रेन की कुछ बोगियां। 

रामपुर रियासत को मॉडल के रूप में रखना चाहती थी भारत सरकार
भारत सरकार रामपुर रियासत को मॉडल के रूप में रखना चाहती थी। यही वजह रही कि देश की आजादी के दो वर्ष बाद रामपुर के बाशिंदों को आजादी मिली। 20 दिसंबर 1948 से आल इंडिया कांग्रेस कमेटी का 55वां अधिवेशन जयपुर में आयोजित हुआ। मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरदार वल्लभ भाई पटेल रामपुर रियासत को मॉडल के रूप में रखना चाहते थे। लेकिन, रामपुर रियासत के मुख्यमंत्री कर्नल बशीर हुसैन जैदी की राजनैतिक चाल के चलते भारत सरकार को 15 मई 1949 को जल्दबाजी और गोपनीयता के साथ रियासत का केंद्र में त्वरित विलय करना पड़ा। रियासत की जनता को जबरदस्त आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।  

मौलाना आजाद ने कहा कि मैंने जो वादा किया था वह जरूर पूरा होता मैंने सरदार पटेल से बात कर ली थी और इकरार ले लिया था कि जब तक वह यानि मौलाना आजाद विलय के लिए स्वीकृति नहीं देंगे उस वक्त तक रियासत रामपुर विलय नहीं की जाएगी। लेकिन, बाद को जिम्मेदार लोगों ने मेरे सामने जो हालात पेश किए मैं उनको पूरी तरह समझ नहीं सका और दूसरे लोगों के विश्वास दिलाने पर मैंने स्वीकृति दे दी। कर्नल बशीर हुसैन जैदी ने रियासत रामपुर को जब भारतीय संघ में विलय करने का प्रस्ताव सरदार वल्लभ भाई पटेल के सामने रखा तो उन्होंने जवाब दिया विलय स्वीकार है।-नफीस सिद्दीकी, इतिहासकार

Edited By: Parakh Khabar

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