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Prayagraj News: विद्या भारती, शिक्षा के साथ संस्कारों का भी संवाहक – हेमचन्द्र
![Prayagraj News: विद्या भारती, शिक्षा के साथ संस्कारों का भी संवाहक – हेमचन्द्र](https://www.parakhkhabar.com/media-webp/2025-02/031.jpg)
महाकुंभ नगर। विद्या भारती का प्रमुख उद्देश्य केवल शिक्षा प्रदान करना ही नहीं, बल्कि छात्र-छात्राओं को भारतीय संस्कारों से भी जोड़ना है, ताकि उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित हो और वे एक आदर्श नागरिक बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।
संस्कार और शिक्षा का महत्व
हेमचन्द्र ने छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि हर माता-पिता अपनी संतान को न केवल शिक्षित बल्कि संस्कारवान भी बनाना चाहते हैं। उन्होंने राम और रावण का उदाहरण देते हुए बताया कि
रावण अत्यंत ज्ञानी और बलशाली था, लेकिन संस्कारों के अभाव में उसकी छवि एक राक्षस के रूप में बनी।
वहीं, श्रीराम अपने ज्ञान और संस्कारों के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजे जाते हैं।
इसी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की स्थापना की गई, जिससे छात्रों को संस्कारयुक्त शिक्षा दी जा सके। वर्तमान में पूरे देश में 12,500 एकल शिक्षा केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें से पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में 1,000 केंद्र कार्यरत हैं। विद्या भारती के तहत हजारों शिक्षण संस्थान शिक्षा और संस्कार के प्रसार में लगे हुए हैं।
वंचितों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास
क्षेत्रीय सेवा प्रमुख योगश ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि विद्या भारती संस्कार केंद्रों के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ियों और समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रही है, जो एक सराहनीय और नेक पहल है। देश के कई अभावग्रस्त क्षेत्रों में भी विद्या भारती ने यह संकल्प लिया है कि वहां के छात्र-छात्राओं को भी अच्छी शिक्षा और संस्कारों से जोड़ा जाए। इसी उद्देश्य से इन इलाकों में एकल शिक्षा केंद्र एवं संस्कार केंद्र स्थापित किए गए हैं।
कार्यक्रम में शामिल विशिष्टजन
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें –
- सह क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. राम मनोहर
- कानपुर प्रांत के संगठन मंत्री रजनीश
- प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी
- विद्या भारती काशी प्रांत के प्रचार प्रमुख
- ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार
यह कार्यक्रम विद्या भारती के उद्देश्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।