Prayagraj News: मृत व्यक्ति के खिलाफ बिना नोटिस जारी वसूली आदेश रद्द, हाईकोर्ट का अहम फैसला

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में माल और सेवा कर अधिनियम (GST Act), 2017 के तहत मृत व्यक्ति के विरुद्ध जारी कर वसूली आदेश को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 93 केवल तब लागू होती है जब व्यवसाय मृतक के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा जारी रखा जाता है, और बिना उचित कारण बताओ नोटिस दिए कानूनी उत्तराधिकारियों से कर वसूली नहीं की जा सकती।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने पारित किया। याचिका मृतक अमित कुमार सेठिया की ओर से दाखिल की गई थी।

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याची अमित कुमार सेठिया की मृत्यु 20 अप्रैल 2021 को हो गई थी, और उनकी फर्म का जीएसटी पंजीकरण 13 मई 2021 को रद्द कर दिया गया। इसके बावजूद, 13 नवंबर 2023 को मृतक के नाम पर धारा 73 के अंतर्गत कर निर्धारण के लिए नोटिस जारी किया गया। इसके बाद 17 नवंबर 2023 को वसूली आदेश भी पारित कर दिया गया, जबकि न तो कोई जवाब मांगा गया और न ही कानूनी उत्तराधिकारियों को नोटिस भेजा गया।

याची की दलील

याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विभाग को याची की मृत्यु की जानकारी थी, इसके बावजूद उनके नाम पर नोटिस जारी कर वसूली प्रक्रिया शुरू की गई, जो कानूनन शुरुआत से ही अमान्य है।

कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि GST एक्ट की धारा 93(1)(ए) केवल उन स्थितियों पर लागू होती है, जब व्यवसाय मृत्यु के बाद भी जारी रहता है। अगर व्यवसाय जारी नहीं रहता, तो मृत व्यक्ति के खिलाफ कर निर्धारण नहीं किया जा सकता, और न ही कानूनी प्रतिनिधियों से वसूली की जा सकती है, जब तक उन्हें पूर्व में नोटिस देकर जवाब का अवसर न दिया गया हो

कोर्ट ने पाया कि कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और न तो कानूनी उत्तराधिकारियों को नोटिस दिया गया, न ही उन्हें जवाब देने का अवसर मिला। ऐसे में वसूली आदेश अवैध और अमान्य है। अतः कोर्ट ने विवादित वसूली आदेश को रद्द कर दिया।

यह फैसला कर प्रशासन से जुड़े मामलों में न्यायिक प्रक्रिया के महत्व और कानूनी प्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

Edited By: Parakh Khabar

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