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Lucknow News: अब सिविलियन नहीं खरीद सकते सेना की वर्दी

लखनऊ। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई। बताया गया कि हमलावर सेना और पुलिस की वर्दी में थे, जिसकी वजह से लोग उनकी मंशा को समझ नहीं सके। इस घटना ने फिर एक बार सवाल खड़ा कर दिया कि आम नागरिक कैसे सेना या पुलिस की वर्दी हासिल कर लेते हैं, जबकि इनकी बिक्री पर पहले से ही रोक है।
सेना का ड्रेस कोड बदला गया
कैंट क्षेत्र के दुकानदारों के अनुसार, पहले सेना के वर्दी का कपड़ा दुकानों पर उपलब्ध होता था और वहीं सिलाई भी कराई जाती थी। लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सेना का ड्रेस कोड बदल दिया गया और बाजार में बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। अब सेना की वर्दी का कपड़ा सीधे सेना के स्टोर्स में ही उपलब्ध है। दुकानदार बताते हैं कि अब दुकानों पर केवल सामान्य सिविल कपड़े बिकते हैं, सेना की वर्दी जैसा कपड़ा भी बाजार में नहीं मिलता।
व्यापारियों की राय
दुकानदार विनोद कुमार ने बताया कि नया ड्रेस पैटर्न बाजार में उपलब्ध नहीं है। अब सेना का कपड़ा केवल कैंटीन के माध्यम से अधिकृत कार्डधारकों को मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्दी के डिजाइन में भी बदलाव किए गए हैं — बेल्ट का स्टाइल, शर्ट पहनने का तरीका और अन्य छोटे-छोटे विवरण बदल दिए गए हैं, ताकि डुप्लिकेट वर्दी बनाना मुश्किल हो।
ड्रेस कोड में 2022 में बड़ा बदलाव
पहले 2008 में वर्दी में कुछ बदलाव किए गए थे, लेकिन बढ़ती घटनाओं को देखते हुए 2022 में सेना की वर्दी और उसके पैटर्न में व्यापक परिवर्तन किए गए। नया कैमोफ्लाज पैटर्न और विशेष कपड़ा इस्तेमाल किया गया है। बाजार में इसकी बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। सेना की टीमें समय-समय पर बाजारों का निरीक्षण करती हैं और दुकानदारों व टेलरों को निर्देशित करती हैं कि सेना से मिलती-जुलती कोई वर्दी न बेची जाए।
नियम और सजा
सामान्य नागरिक सेना या अर्धसैनिक बलों (CRPF) की वर्दी या उससे मिलती-जुलती कॉम्बैट ड्रेस नहीं पहन सकते। ऐसा करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 500 रुपये जुर्माना और अधिकतम तीन महीने तक की सजा हो सकती है। गृह मंत्रालय ने भी सभी राज्यों को इस बारे में निर्देश जारी किए हैं।
सेना का स्पष्ट संदेश
मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि पहले अधिकृत दुकानों को सेना की वर्दी बेचने की अनुमति दी जाती थी और रजिस्टर में जवानों का पूरा विवरण दर्ज किया जाता था। लेकिन अब वर्दी केवल सेना के स्टोर से आई कार्ड के जरिए ही मिलती है। इसके चलते अब बाजार में सेना की असली वर्दी की बिक्री संभव नहीं है।