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ग्रीन हाइड्रोजन की ओर कदम बढ़ाएगा AKTU, प्रदेश सरकार को भेजा प्रस्ताव, जाने पूरी योजना
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लखनऊ: देशभर में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए कई स्तरों पर योजनाएं चल रही हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग में वैश्विक हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अब इस दिशा में उत्तर प्रदेश ने भी महत्वपूर्ण पहल की है। लखनऊ स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (AKTU) ने ग्रीन हाइड्रोजन पर कार्य की योजना तैयार कर प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया से होगा तकनीकी सहयोग
AKTU द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में जापान की यामानाशी कंपनी से तकनीकी सहयोग की बात की गई है। साथ ही हाल ही में ऑस्ट्रेलिया सरकार के एक विभाग के साथ भी ग्रीन हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में समझौता हुआ है, जिसके तहत प्रदेश में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
चार प्रमुख बिंदुओं पर आधारित प्रस्ताव
1. प्रदेशभर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना
2. ग्रीन हाइड्रोजन पर आधारित कौशल विकास कार्यक्रम
3. स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना और सहयोग करना
4. ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में व्यावसायिक अवसरों का विकास
ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग
ग्रीन हाइड्रोजन का प्रमुख उपयोग उद्योग, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में होता है। यह 100% प्रदूषण मुक्त और शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला ईंधन है, जो पर्यावरण के अनुकूल है।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन?
ग्रीन हाइड्रोजन पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से प्राप्त किया जाता है, जिसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। यह स्वच्छ ऊर्जा का एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है।
"अब तक ग्रीन हाइड्रोजन पाठ्यक्रम का हिस्सा रहा है, लेकिन अब इसे विस्तृत स्तर पर लागू किया जाएगा। कुछ स्टार्टअप्स इससे जुड़े हैं, मगर अब इसे लेकर गंभीर और तेज़ प्रयास होंगे।" डॉ. महीप सिंह, इनोवेशन हब, AKTU
AKTU की इस पहल से न सिर्फ राज्य में ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी नए रास्ते खुलेंगे।