10 नवंबर को है अक्षय नवमी, इस बार दो शुभ योगों में होगी पूजा ; देखें शुभ मुहूर्त

Akshay Navami 2024 Muhurat : अक्षय नवमी इस साल 10 नवंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी। अमृतपाली निवासी ज्योतिर्विद आचार्य पंडित आदित्य पाराशर बताते हैं कि पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 10 नवंबर को प्राप्‍त हो रही है। इसलिए जो लोग अक्षय नवमी का व्रत करते हैं वे 10 नवंबर को यह व्रत रखेंगे और विष्‍णु भगवान की पूजा करेंगे। इस पर्व को अक्षय नवमी, धात्री नवमी, आंवला नवमी और कूष्मांड नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

धार्मिक मान्‍यताओं में बताया गया है आंवले के वृक्ष में भगवान विष्‍णु का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की छांव में बैठना और उसके नीचे खाना बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भोजन का भोग सबसे पहले भगवान विष्‍णु को लगाएं और ब्राह्मण को खिलाकर फिर पूरे परिवार को खिलाने से आपको श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

यह भी पढ़े - Ballia News: तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे शहीद जितेंद्र यादव, बलिया के इस गांव में मचा कोहराम

अक्षय नवमी का महत्‍व
पंडित आदित्य पराशर बताये कि इस दिन ध्रुव और रवि योग का योग बना रहा है। यह दोनों योग काफी शुभ माने जाते हैं। इस योग में किया गया शुभ कार्य सफल होते हैं। अक्षय नवमी को लेकर ऐसी मान्‍यता है कि अक्षय नवमी के दिन किए जाने वाले पुण्‍य कार्य,गुप्त दान का अक्षय फल सभी को प्राप्‍त होता है और आपको मां लक्ष्‍मी की कृपा भी प्राप्‍त होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से आपको सुख संपत्ति और आरोग्‍य की प्राप्ति होती है। इस दिन किया जाने वाला जप तप और दान आपको सभी पापों से मुक्‍त करवाता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ में भगवान विष्‍णु के साथ ही शिवजी का भी वास होता है। इसलिए इस दिन आंवले का दान और सेवन जरूर करना चाहिए। इस दिन पुरे परिवार समेत आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से आपके घर में खुशहाली आती है।

ऐसे करें आंवले के वृक्ष की पूजा
आचार्य पराशर ने पूजन करने की विधि में बताया कि 
-सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और पूजन की सामग्री के साथ आंवला के पेड़ के पास आसन लगाएं।
-अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष  के जड़ के पास सफाई कर जल और कच्चा दूध अर्पित करें फिर वृक्ष पर रोली,हल्दी,कुमकुम धूप, दीपक, नैवेद्य चढ़ाकर पूजा करें।
-तने पर कच्चा सूत या मौली लपेटें, यह करते हुए वृक्ष की 08 बार या 108 बार परिक्रमा करें।
-पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ी और सुनी जाती है। माना जाता है कि कथा ब्राह्मण से सुनें या खुद पाठ करना भी लाभप्रद होता है।
-इस दिन आंवला के साथ कुष्मांड भी दान करना चाहिए।
-पूजा के बाद सुख समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे बैठ कर ब्राह्मण को भोजन कराकर दान पुण्य कर पुरे परिवार के साथ भोजन किए जाने का महत्व है। इससे मां लक्ष्मी जी का घर में वास होता है और घर की दरिद्रता दूर होती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिर्विद आचार्य 
पंडित आदित्य पराशर 
अमृतपाली बलिया 
सम्पर्क सूत्र : 9454356394

Edited By: Parakh Khabar

खबरें और भी हैं

स्पेशल स्टोरी

Copyright (c) Parakh Khabar All Rights Reserved.