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यूपी विधानसभा चुनाव 2027: मंदिर-मस्जिद विवाद से चुनावी ध्रुवीकरण की तैयारी?
उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन राज्य में बढ़ते मंदिर-मस्जिद विवादों ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को एक नई धार दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये मुद्दे न सिर्फ चुनावी जमीन तैयार कर रहे हैं, बल्कि भविष्य में और गहराएंगे।
मंदिर-मस्जिद विवाद का राजनीतिक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 के चुनाव से पहले ऐसे विवाद और बढ़ सकते हैं। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग होने के दावे के बाद संभल, बदायूं, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, और बुलंदशहर जैसे जिलों में मस्जिदों में मंदिर होने के दावे सामने आए हैं।
हालिया घटनाएं और विवाद
- बदायूं की जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दायर।
- संभल में शाही जामा मस्जिद के हरिहरनाथ मंदिर के दावे पर सर्वे के दौरान हिंसा भड़की, जिसमें चार लोगों की मौत हुई।
- नवंबर में संभल और अन्य जिलों में इसी तरह के विवाद देखे गए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. रूपरेखा वर्मा ने सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाते हुए कहा, "ऐसी घटनाओं की तीव्रता 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बढ़ रही है। विपक्षी दलों के अच्छे प्रदर्शन के बाद सत्तापक्ष अपनी जमीन मजबूत करने के लिए ऐसे कदम उठा रहा है।"
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "ये लोग खोदते-खोदते एक दिन अपनी ही सरकार खोद देंगे। यह लोकतंत्र में नहीं, एकतंत्र में भरोसा करते हैं।"
भाजपा प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने पलटवार करते हुए कहा, "सपा और अन्य विपक्षी दल तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं। जनता के व्यापक हितों की अनदेखी करने वालों को जनता जवाब देगी।"
ध्रुवीकरण का इतिहास और संभावनाएं
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी हाल ही में कहा था, "राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है, लेकिन नए मुद्दे उठाकर नेताओं का बनना स्वीकार्य नहीं है।"
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. सुशील कुमार पांडेय ने कहा, "इतिहास में हिंदू पूजा स्थलों के विनाश की शिकायतें नई राजनीतिक परिस्थितियों में फिर से उभर रही हैं, जो सांप्रदायिक तनाव और चुनावी नतीजों को प्रभावित करेंगी।"
विश्लेषकों का मानना है कि मंदिर-मस्जिद विवादों के जरिए यूपी में चुनावी ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है। ये मुद्दे आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ा असर डाल सकते हैं।