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मुस्लिम समुदाय से नए साल का जश्न न मनाने की अपील: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का फतवा
साल 2024 के समापन और 2025 के आगमन पर जहां नए साल के जश्न की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय से नया साल न मनाने की अपील की है। उन्होंने एक फतवा जारी करते हुए इसे इस्लाम के खिलाफ और गैर-शरई करार दिया।
मौलाना का बयान
नए साल के जश्न पर आपत्ति
मौलाना के अनुसार, जनवरी से शुरू होने वाला नया साल गैर-मुस्लिमों का धार्मिक पर्व है, जिसे मनाना इस्लामी शरीयत के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को ऐसे कार्यक्रमों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि शरीयत इस तरह के कार्यों को सख्ती से मना करती है।
कशिश वारसी का जवाब
मौलाना शहाबुद्दीन के इस फतवे पर सूफी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कशिश वारसी ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे "फतवा फैक्ट्री" कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के फतवे जारी करने से मुसलमानों को सिर्फ रोका जा रहा है। वारसी ने यह भी कहा कि नए साल का जश्न मिल-जुलकर मनाने से कौमी एकता का संदेश जाता है।
कौमी एकता पर जोर
वारसी ने इस्लामिक कैलेंडर के मोहर्रम महीने की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह गम का महीना है, जिसे नया साल बताया जाता है, लेकिन जहां खुशी और भाईचारे का संदेश है, उसे हराम करार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं है और समाज को बांटने के बजाय एकजुटता का संदेश देना चाहिए।
मुस्लिम युवाओं को संदेश
मौलाना शहाबुद्दीन ने मुस्लिम युवाओं को सलाह दी है कि वे शरीयत के खिलाफ काम न करें और गुनहगार बनने से बचें। उनका कहना है कि शरीयत के अनुसार जीवन जीना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है, और उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए।
इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, लेकिन बहस का मुख्य केंद्र इस्लामिक परंपराओं और आधुनिक समाज के बीच संतुलन का है।