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Prayagraj News: शारीरिक संबंधों का प्रतिरोध न करने पर संबंध को अवैध नहीं माना जा सकता - इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 30 वर्षीय विधवा महिला के साथ दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि यदि एक विवाहित और यौन संबंधों का अनुभव रखने वाली महिला शारीरिक संबंधों का विरोध नहीं करती है, तो इसे उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने इस तथ्य पर जोर दिया कि पीड़िता तीन बच्चों की मां है और शारीरिक संबंधों की नैतिकता और परिणामों से परिचित है।
आरोपी का पक्ष
आरोपी के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि पीड़िता ने निजी रंजिश के चलते झूठा मामला दर्ज कराया है। मेडिकल जांच में गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हुई और पीड़िता ने आंतरिक जांच कराने से भी इनकार कर दिया। वकील ने यह भी दावा किया कि पीड़िता आरोपी से विवाह करना चाहती थी, लेकिन इनकार मिलने पर उसने मामला दर्ज कराया।
कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता, जो पहले से विवाहित थी और तीन बच्चों की मां है, शारीरिक संबंधों की नैतिकता और परिणामों से भली-भांति परिचित है। ऐसे में संबंध को उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने मेडिकल जांच में गर्भावस्था के नेगेटिव परिणाम और अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत दे दी।
कोर्ट का यह फैसला महिला और पुरुष के सहमति आधारित संबंधों के कानूनी पहलुओं पर जोर देता है और यह सुनिश्चित करता है कि तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष न्याय हो।