महाकुंभ 2025: अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती का विशेष साक्षात्कार

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का आरंभ होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। सनातन आस्था के इस महाआयोजन की विधिवत शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खरमास से पूर्व प्रयागराज आकर की। जहां लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी में डुबकी लगाने को उत्सुक हैं, वहीं कुछ असामाजिक तत्वों और विरोधी गुटों ने आयोजन में विघ्न डालने की धमकियां देनी शुरू कर दी हैं।

इस बीच, इस पवित्र आयोजन को लेकर उभरती चुनौतियों, आस्था पर बढ़ते व्यवसाय के प्रभाव और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अपनी स्पष्ट राय रखी। प्रस्तुत है उनसे हुई विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश:

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प्रश्न: कुंभ में विध्वंस की धमकियां मिल रही हैं, जैसे कि खालिस्तानी गुरवंत सिंह पन्नू और मुस्लिम उपद्रवी नजर पठान की। इसे आप किस रूप में देखते हैं?

उत्तर:

ऐसी धमकियां देने वाले सनातन की शक्ति और इतिहास से अनजान हैं। सनातन संस्कृति हमेशा से एक हाथ में शास्त्र और दूसरे हाथ में शस्त्र लेकर अपने धर्म और आस्था की रक्षा के लिए तत्पर रही है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब संतों ने विरोधी शक्तियों का संपूर्ण नाश किया है। इस प्रकार की धमकियों से भारत का संत समाज डरने वाला नहीं है।

प्रश्न: कहा जा रहा है कि इस बार कुंभ में आस्था से ज्यादा अर्थ प्रभावी हो रहा है। इस पर संत समाज की क्या राय है?

उत्तर:

कुंभ, आस्था और तप का महाआयोजन है। इसे व्यवसाय का अड्डा बनाने की कोशिश संत समाज कभी सहन नहीं करेगा। हमने संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी है। हालांकि, कुछ व्यावसायिक घरानों और सोशल मीडिया माध्यमों ने इसे बाजार के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है। लाखों रुपये प्रति रात के पैकेज और ऐशोआराम के विज्ञापन इसका स्वरूप बिगाड़ रहे हैं। ऐसे धनलोभी और लालची तत्वों के खिलाफ संत समाज पूरी ताकत से खड़ा होगा।

प्रश्न: क्या बाजार का प्रभाव कुंभ के मूल स्वरूप को खतरे में डाल रहा है?

उत्तर:

आस्था का स्थान कोई बाजार नहीं ले सकता। कुंभ एक ऐसा आयोजन है जहां आदिकाल से राजा-महाराजा भी श्रद्धा से शामिल होते रहे हैं। यहां दान, तप, और संतों के मार्गदर्शन से विश्व कल्याण की साधना की जाती है। लेकिन आज, कुछ लोग कुंभ की पवित्रता को धनार्जन का साधन बना रहे हैं। महंगे कॉटेज और विलासितापूर्ण सुविधाओं के प्रचार-प्रसार से इसकी नैसर्गिकता को खत्म करने की साजिश हो रही है। संत समाज ऐसे कुप्रयासों को सफल नहीं होने देगा।

प्रश्न: कुंभ की सुरक्षा को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?

उत्तर:

यह सच है कि कुंभ को लेकर कुछ तत्वों ने डर और भ्रम फैलाने का प्रयास किया है। महंगी सुविधाओं और सुरक्षा के नाम पर प्रचार करके ग्रामीण और साधारण श्रद्धालुओं को भयभीत करने का प्रयास हो रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकारें सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। संत समाज को इन व्यवस्थाओं पर भरोसा है।

प्रश्न: संत समाज कुंभ को लेकर क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर:

कुंभ लोक आस्था का महापर्व है और लोक के लिए ही रहेगा। इसे धन और ऐश्वर्य का साधन बनाने का प्रयास असहनीय है। कुंभ आस्था, साधना, और विश्व कल्याण का समय है। यह सनातन संस्कृति की आत्मा है।

यदि कोई कुंभ के स्वरूप से छेड़छाड़ या विध्वंस की कोशिश करेगा, तो संत समाज उसे मिट्टी में मिला देगा। यह आयोजन सनातनियों के लिए समर्पित है और इसे बाजार बनाने वाले किसी भी प्रयास को विफल किया जाएगा।

कुंभ में नकली संतों और आस्था के नाम पर दिखावा करने वालों पर भी संत समाज की कड़ी नजर रहेगी। हम सजग हैं, सतर्क हैं और आस्था की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

कुंभ 2025 केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन धर्म की शक्ति और आस्था का प्रतीक है। किसी भी प्रकार की बाधा या विकृति को संत समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।

Edited By: Parakh Khabar

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