महाकुंभ 2025: 13 वर्षीय किशोरी बनी साध्वी, माता-पिता ने किया बेटी दान

प्रयागराज। 13 वर्षीय राखी सिंह, जो बचपन से आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखती थी, ने महाकुंभ मेले के दौरान अचानक वैराग्य का मार्ग अपनाने की इच्छा जताई। राखी ने अपने माता-पिता से साध्वी बनने की घोषणा की। माता-पिता ने इसे प्रभु की इच्छा मानते हुए अपनी बेटी को जूना अखाड़ा को सौंप दिया।

गुरु दीक्षा के साथ वैराग्य का सफर

राखी के परिवार से जुड़ी रीमा सिंह ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि महाराज उनके गांव में भागवत कथा के लिए आते रहे हैं। वहीं राखी ने उनसे गुरु दीक्षा ली थी। रीमा ने कहा कि महाकुंभ के इस शिविर में सेवा करने के लिए वह अपने पति संदीप सिंह और दोनों बेटियों के साथ पिछले महीने आई थीं।

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रीमा सिंह ने बताया, "एक दिन राखी ने हमसे कहा कि वह साध्वी बनना चाहती है। हमने इसे प्रभु की इच्छा मानते हुए कोई विरोध नहीं किया।" राखी का परिवार आगरा में रहता है, जहां संदीप सिंह पेठा का कारखाना चलाते हैं।

आईएएस बनने का सपना और वैराग्य का मार्ग

रीमा ने कहा कि राखी का सपना आईएएस अधिकारी बनने का था। लेकिन महाकुंभ के दौरान उसके मन में वैराग्य का संचार हुआ। जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने बताया कि राखी का परिवार लंबे समय से उनके संपर्क में था और परिवार ने बिना किसी दबाव के बेटी का दान किया। अब राखी को "गौरी गिरि" के नाम से जाना जाएगा।

माता-पिता का निर्णय

जब रीमा सिंह से पूछा गया कि क्या उन्हें बेटी की चिंता नहीं होगी, तो उन्होंने कहा, "मां होने के नाते यह चिंता हमेशा रहेगी कि वह कहां और कैसी है। लेकिन हमने इसे प्रभु की इच्छा मान लिया।" उन्होंने बताया कि कई रिश्तेदार सवाल करते हैं, पर परिवार इसे ईश्वर की योजना मानता है।

धार्मिक संस्कार

गौरी गिरि के पिंडदान और अन्य धार्मिक संस्कार 19 जनवरी को जूना अखाड़े में पूरे किए जाएंगे। इसके बाद वह गुरु के परिवार का हिस्सा बन जाएगी। अखाड़े के संतों ने इस घटना को वैराग्य और आध्यात्मिकता की एक मिसाल बताया।

Edited By: Parakh Khabar

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