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काशी के बाबा विश्वनाथ का प्रतिरूप माने जाते हैं प्रयागराज के बाबा लोकनाथ
प्रयागराज। सनातन संस्कृति और आस्था की प्राचीनतम नगरी प्रयागराज को तीर्थों का राजा, यानी तीर्थराज कहा जाता है। यहां के चौक क्षेत्र के प्रसिद्ध लोकनाथ मोहल्ले का नाम बाबा लोकनाथ महादेव के नाम पर रखा गया है। रविवार को बाबा लोकनाथ मंदिर के पुजारी गौरी शंकर पांडेय ने इस संबंध में जानकारी साझा की।
लोकनाथ मोहल्ले का इतिहास
लोकनाथ मोहल्ला अपनी खाऊ गली की रबड़ी, मलाई, लस्सी, हरी के समोसे, और भारती भवन लाइब्रेरी के लिए प्रसिद्ध है। यह मोहल्ला बाबा लोकनाथ महादेव के नाम पर बसाया गया। बाबा का मंदिर भारती भवन लाइब्रेरी के पीछे स्थित है। चार पीढ़ियों से इस मंदिर में पूजा कर रहे पुजारी गौरी शंकर पांडेय का कहना है कि बाबा लोकनाथ स्वयंभू शिवलिंग हैं।
स्कंद पुराण में बाबा लोकनाथ का वर्णन इस प्रकार मिलता है:
"वामदेव महादेव देव-देव सुरेश्वरः, लोकनाथ पाहि-पाहि प्राणनाथ कृपाकरः।"
महाभारत के शांतिपर्व में भी बाबा का उल्लेख है। सावन, प्रदोष, और शिवरात्रि पर बाबा लोकनाथ का विशेष पूजन होता है। प्रयागराज के स्थानीय लोग और दूर-दूर से संगम आने वाले श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर और इसकी विशेषताएं
पुजारी ने बताया कि नाथ संप्रदाय के मछंदरनाथ (मत्स्येंद्रनाथ) ने प्राचीन काल में यहां चातुर्मास पूरा किया था। मंदिर में भगवान शिव के साथ नंदी, गणेश, माता पार्वती, और शेषनाग की प्राचीन प्रतिमाएं हैं। श्रद्धालुओं ने यहां माता दुर्गा, हनुमान, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की हैं।
प्रसिद्ध हस्तियां और आयोजन
मदन मोहन मालवीय, छुन्नन गुरु, और पं. श्रीधर पाठक जैसे प्रसिद्ध लोग इस मंदिर में नियमित रूप से आते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वी.पी. सिंह ने भी बाबा लोकनाथ के दर्शन किए थे।
यहां की शिवरात्रि पर निकलने वाली शिव बारात प्रयागराज की ऐतिहासिक परंपरा है। इसके अलावा, लोकनाथ चौराहे पर होली खेलने की परंपरा, जिसे छुन्नन गुरु ने शुरू किया था, आज भी दूर-दूर से लोगों को आकर्षित करती है।