Lucknow News: आईसीयू में मरीजों की जीवन देखभाल पर परिचर्चा

लखनऊ। मरीजों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मानपूर्ण इलाज चिकित्सकों की प्रमुख जिम्मेदारी है। इसी के तहत गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करना भी हमारी ज़िम्मेदारी बनती है। दुर्भाग्य से, अक्सर मरीज की मृत्यु को मेडिकल टीम की 'विफलता' के रूप में देखा जाता है। यह विचार एसजीपीजीआई के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष, प्रो. बनानी पोद्दार ने गुरुवार को विभाग के स्थापना दिवस पर व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि इस सोच को बदलने और मरीजों की गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2023 में 'अग्रिम चिकित्सा निर्देश' और 'जीवन रक्षक उपचार को वापस लेने' को वैध घोषित किया था। इसके बाद, 2024 के मध्य में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 'जीवन रक्षक उपचार को वापस लेने पर दिशानिर्देश' का मसौदा जारी किया और जनता से राय मांगी। संभावना है कि इसे अब अंतिम रूप देकर 'दिशानिर्देश' के रूप में जारी किया जाएगा।

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इस गंभीर विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए शनिवार को विभाग द्वारा टेलीमेडिसिन सभागार में "आईसीयू में जीवन देखभाल का अंत" विषय पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यशोदा अस्पताल, गाजियाबाद के डॉ. राजकुमार मणि इस विषय पर व्याख्यान देंगे।

इसके बाद, उच्च न्यायालय की प्रैक्टिसिंग वकील श्रद्धा अग्रवाल सहित विशेषज्ञों का पैनल जीवन के अंत की देखभाल के कार्यान्वयन और उससे जुड़ी बारीकियों पर चर्चा करेगा। इस पैनल चर्चा का उद्देश्य दर्शकों को इस संवेदनशील विषय पर शिक्षित करना है।

Edited By: Parakh Khabar

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