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बलिया: शनि प्रदोष पर गंगा किनारे शिव आराधना, महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् की अनूठी पहल
बलिया के सदर तहसील क्षेत्र के रामगढ़ (हुकुम छपरा) गंगापुर में संचालित महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् धर्म के प्रचार-प्रसार और जनमानस में आस्था जागृत करने का कार्य कर रहा है। गुरुकुल के आचार्य पं. मोहित पाठक के नेतृत्व में चलाए जा रहे "शिवार्चन गंगा आरती प्रकल्प" के तहत शनि प्रदोष व्रत के अवसर पर भव्य रुद्राभिषेक और गंगा आरती का आयोजन किया गया।
गंगा और शिव सेवा का संदेश
उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति जो रुद्राभिषेक या काशी की गंगा आरती करने का इच्छुक हो, वह न्यून शुल्क पर इस सेवा का लाभ उठा सकता है। इसके माध्यम से लोग न केवल शिव और गंगा की सेवा कर सकते हैं, बल्कि गुरुकुल में अध्ययनरत बटुकों की शिक्षा में भी योगदान दे सकते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व
पं. मोहित पाठक ने प्रदोष व्रत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को "शनि प्रदोष व्रत" कहा जाता है। इसे करने से भगवान शिव के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत में संध्या काल (सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व) के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।
उन्होंने कहा कि प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। इस व्रत से संतान सुख, धन-धान्य और पारिवारिक समृद्धि का वरदान भी मिलता है।
प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
- माह में दो बार: कृष्ण और शुक्ल पक्ष में।
- साल में कुल व्रत: 24 प्रदोष व्रत।
- प्रदोष काल: सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू।
- विशेष फल: संतान सुख, कष्टों का निवारण, धन-धान्य में वृद्धि।
- दान का महत्व: अन्न या अनाज का दान अत्यंत शुभ माना गया है।
उपस्थित प्रमुख लोग
इस अवसर पर आचार्य शौनक द्विवेदी, राजकुमार उपाध्याय, बिट्टू सिंह, अंगद सिंह समेत कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् के इस प्रयास से न केवल धर्म और आस्था को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि समाज में शिव और गंगा की सेवा के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।