Year Ender 2024: सीयूईटी विवाद से लेकर चुनावी उथल-पुथल तक, विश्वविद्यालयों में रहा बदलावों का साल

नई दिल्ली। साल 2024 दिल्ली के विश्वविद्यालयों के लिए कई उतार-चढ़ाव भरा रहा। विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) में अनियमितताओं से शैक्षणिक कैलेंडर में बड़े व्यवधान हुए, तो जामिया मिलिया इस्लामिया को एक साल बाद नया कुलपति मिला। कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई ने सात साल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) में वापसी की, वहीं जेएनयू छात्र संघ चुनावों में वामपंथी गठबंधन ने अपनी पकड़ बनाए रखी।

सीयूईटी में देरी और विरोध प्रदर्शनों का दौर

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सीयूईटी में अनियमितताओं और पेपर लीक की घटनाओं ने विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक प्रक्रिया को बाधित कर दिया। परिणामों में देरी के कारण पीएचडी समेत कई प्रवेश प्रक्रियाएं प्रभावित हुईं।

यह भी पढ़े - मंजू भारती ने सितारों से सजी महफिल में पांच फिल्मों का किया लॉन्च, मुकेश जे. भारती का मिला साथ

प्रदर्शन: एनएसयूआई समेत कई छात्र संगठनों ने एनटीए के खिलाफ प्रदर्शन किए।

समस्या की भरपाई: विश्वविद्यालयों ने समय बचाने के लिए सप्ताहांत में कक्षाएं आयोजित कीं, जिससे छात्रों और शिक्षकों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया।

डूसू चुनाव: एक उथल-पुथल भरा सफर

इस साल डूसू चुनावों ने खासा ध्यान खींचा। 27 सितंबर को हुए चुनावों के परिणाम, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान और कानूनी अड़चनों के कारण, करीब दो महीने तक स्थगित रहे।

परिणाम: 25 नवंबर को घोषित परिणामों में एनएसयूआई ने सत्ता में वापसी की।

चुनावी विवाद: मतदान मानदंडों के उल्लंघन ने डूसू चुनावों की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए।

जेएनयूएसयू चुनाव और छात्रों का विरोध

कोविड-19 के बाद पहली बार जेएनयू में छात्र संघ चुनाव हुए, जहां वामपंथी संगठनों ने अपनी पकड़ बनाए रखी।

छात्रों का विरोध: बेहतर छात्रावास सुविधाओं और प्रशासनिक पारदर्शिता की मांग को लेकर 17 दिनों की भूख हड़ताल ने प्रशासन को झकझोरा।

जामिया: अस्थिरता के बीच प्रशासनिक बदलाव

जामिया मिलिया इस्लामिया ने एक साल से अधिक समय बाद नया कुलपति पाकर प्रशासनिक अस्थिरता के लंबे दौर को खत्म किया। यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी गई।

साल 2024 दिल्ली के विश्वविद्यालयों के लिए चुनौतियों और बदलावों का गवाह रहा। सीयूईटी विवाद ने शैक्षणिक व्यवस्था को झकझोरा, तो चुनावों ने छात्रों की आवाज को प्रमुखता दी। जामिया और जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने प्रशासनिक स्थिरता और छात्रों के अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

Edited By: Parakh Khabar

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Parakh Khabar All Rights Reserved.