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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले खेल जगत की महिलाओं का संदेश: संघर्ष से सफलता तक

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले, कबड्डी खिलाड़ी ललिता ठाकुर और रग्बी खिलाड़ी प्रिया बंसल ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि आज देश की महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
ललिता ठाकुर: संघर्ष और सफलता की कहानी
अपने सफर के बारे में ललिता ने कहा, "हमने 2008 में कबड्डी खेलना शुरू किया था। इस दौरान कई बार चोटों और अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन मेहनत से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए और आत्म-सम्मान से कोई समझौता नहीं करना चाहिए।"
प्रिया बंसल: सामाजिक प्रतिबंधों को तोड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा
पिछले 10 वर्षों से रग्बी खेल रही प्रिया बंसल ने एशियाई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और वर्तमान में एक टीचर के रूप में भी कार्यरत हैं।
अपनी चुनौतियों के बारे में उन्होंने बताया, "2011 में जब मैंने खेलना शुरू किया, तो कोई प्रोत्साहन देने वाला नहीं था। परिवार की पृष्ठभूमि ऐसी थी कि शॉर्ट्स पहनने, दोस्त बनाने और बाहर निकलने तक की मनाही थी। जब टूर्नामेंट के लिए मेरा चयन हुआ, तो परिवार ने शादी करने का दबाव डाला। मेरे पास दो रास्ते थे—एक शादी और दूसरा टीम इंडिया में खेलना। मैंने अपने सपनों को चुना और टीम इंडिया का हिस्सा बनी। यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ था।"
महिलाओं के लिए समर्थन और सरकार की भूमिका
प्रिया ने बताया कि जब उन्होंने खेलना शुरू किया था, तब रग्बी को लेकर जागरूकता बहुत कम थी। लेकिन अब महिलाओं को अधिक समर्थन मिल रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की "मिशन विकसित भारत" पहल की सराहना करते हुए कहा, "आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के विकास का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के लिए सभी को मिलकर आगे बढ़ना होगा।"
संघर्ष से सफलता तक: महिला खिलाड़ियों का संदेश
ललिता और प्रिया दोनों ने युवतियों को अपने सपनों के लिए लड़ने और किसी भी चुनौती से हार न मानने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छूएंगी।