जूना अखाड़ा: नाबालिग को शिष्या बनाने पर महंत कौशल किशोर 7 साल के लिए निष्कासित, 22 साल से कम उम्र की महिलाओं को दीक्षा पर रोक

महाकुंभ 2025 से पहले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने एक बड़ा निर्णय लिया है। अखाड़े की परंपरा के खिलाफ 13 वर्षीय नाबालिग लड़की को शिष्या बनाने के आरोप में महंत कौशल किशोर को 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। इसके साथ ही, अब 22 साल से कम उम्र की महिलाओं को दीक्षा देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मामले की शुरुआत

हाल ही में आगरा के व्यापारी संदीप सिंह और उनकी पत्नी रीमा की 13 वर्षीय बेटी राखी सिंह धाकरे को महंत कौशल किशोर ने साध्वी के रूप में दीक्षा दी थी। दीक्षा के बाद राखी सिंह का नाम बदलकर गौरी गिरि रखा गया। बाद में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें गौरी गिरि ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहती थीं, लेकिन उन्हें अखाड़े में शामिल कर लिया गया। इस घटना के बाद विवाद खड़ा हो गया।

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पंचायत में बड़ा फैसला

वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और संत समाज ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। शुक्रवार को अखाड़ा थाने में पंचायत बुलाई गई, जिसमें संतों ने स्पष्ट किया कि गौरी गिरि को अखाड़े में आधिकारिक रूप से शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद जूना अखाड़े की मेला छावनी में एक और बैठक हुई।

बैठक में संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और प्रवक्ता नारायण गिरि ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि महंत कौशल किशोर और गौरी गिरि को तत्काल प्रभाव से अखाड़े से निष्कासित किया जाए।

अखाड़े की परंपरा का उल्लंघन

अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अखाड़े की परंपरा के अनुसार, केवल बालिग व्यक्ति को ही दीक्षा दी जा सकती है। नाबालिग को शिष्य बनाना परंपरा के खिलाफ है। महंत कौशल किशोर ने 13 वर्षीय राखी को शिष्या बनाकर अखाड़े की मान्यताओं का उल्लंघन किया।

महासभा का निर्णय

महासभा ने महंत कौशल किशोर को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। अब वे 7 वर्षों तक अखाड़े में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, यह भी तय किया गया कि अब 22 साल से कम उम्र की महिलाओं को संन्यास की दीक्षा नहीं दी जाएगी।

इस घटना ने अखाड़े की परंपरा और नियमों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। जूना अखाड़े द्वारा उठाए गए सख्त कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और परंपराओं का पालन किया जाए।

Edited By: Parakh Khabar

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