अलविदा ‘यूसुफ बिल्डिंग’: पटना की ऐतिहासिक धरोहर अब इतिहास का हिस्सा

पटना। शहर के प्रतिष्ठित डाक बंगला इलाके की अंतिम ऐतिहासिक इमारत, ‘यूसुफ बिल्डिंग’, अब इतिहास के पन्नों में सिमट गई है। 19वीं सदी में बनी इस इमारत को, जिसने आजादी और विभाजन के दौर की गवाह बनी थी, हाल ही में ध्वस्त कर दिया गया। यह इमारत न केवल अपनी ऐतिहासिक अहमियत के लिए जानी जाती थी, बल्कि विभाजन के बाद यहां शरण लेने वाले परिवारों के आजीविका का भी केंद्र थी।

इतिहास का हिस्सा बनी यूसुफ बिल्डिंग

डाक बंगला चौराहे के सामने स्थित इस तीन मंजिला इमारत को रविवार रात बुलडोजर से गिरा दिया गया। स्थानीय निवासियों के मुताबिक, इमारत को ढहाने का काम दो दिन पहले शुरू हुआ था। इससे पहले, 1990 में इसी क्षेत्र में ब्रिटिश काल के प्रतिष्ठित डाक बंगले को भी एक नई इमारत के लिए गिराया गया था।

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‘यूसुफ बिल्डिंग’ में विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने अपनी आजीविका का निर्माण किया। इसके भूतल पर ‘रोशन ब्रदर्स’ नामक डिपार्टमेंटल स्टोर तीन पीढ़ियों से संचालित हो रहा था। इसके अलावा, ‘खन्ना स्टोर्स’, ‘लखनऊ जेरॉक्स हाउस’ और ‘प्रकाश स्टूडियो’ जैसी प्रतिष्ठित दुकानें भी यहां चलती थीं।

भावनात्मक जुड़ाव और दुख

‘रोशन ब्रदर्स’ के मालिक राकेश कपूर, जिनके दादा रोशन लाल कपूर ने विभाजन के बाद इस इमारत में दुकान शुरू की थी, ने कहा कि इमारत का गिरना उनके लिए व्यक्तिगत क्षति की तरह है। राकेश ने बताया, “जब मैंने इमारत के मलबे को देखा, तो ऐसा लगा जैसे अपने परिवार के किसी सदस्य को खो दिया हो। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हमारी यादों और इतिहास का हिस्सा थी।”

संरक्षण की मांग

कई लोगों का मानना है कि यूसुफ बिल्डिंग को संरक्षित किया जा सकता था। राकेश कपूर ने कहा कि उचित कदम उठाए गए होते, तो यह पटना की इस प्रतिष्ठित धरोहर को बचाया जा सकता था।

यादों का चौराहा

कोलकाता के लेखक और पूर्व मार्केटिंग पेशेवर राजीव सोनी, जिन्होंने 1988 में पटना छोड़ा था, ने बताया कि ‘यूसुफ बिल्डिंग’ और इसके आसपास की दुकानें उनके बचपन की यादों का हिस्सा थीं। “1959 में जब मैं छह साल का था, तब मैं अक्सर अपने माता-पिता के साथ ‘रोशन ब्रदर्स’ जाया करता था। यह जगह पटना में मेरे बचपन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।”

‘यूसुफ बिल्डिंग’ के गिरने के साथ ही पटना ने अपने डाक बंगला चौराहे की अंतिम ऐतिहासिक धरोहर खो दी। लेकिन इसके साथ जुड़े किस्से, यादें और भावनात्मक जुड़ाव पीढ़ियों तक जीवित रहेंगे।

Edited By: Parakh Khabar

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