Bihar News: 15 साल पहले भाई-भाभी की एक साथ उठी थी अर्थी, पिता के बाद अब सड़क हादसे में शिक्षक पुत्र की मौत

औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। सड़क हादसे में घायल शिक्षक चंद्रशेखर कुमार सिंह की पटना के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चंद्रशेखर की मौत उसी स्थान पर हुई, जहां 10 साल पहले उनके पिता नागेंद्र सिंह की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।

हादसे ने छीना आखिरी सहारा

चंद्रशेखर कुमार सिंह (35), जो देव थाना क्षेत्र के केताकी गांव के निवासी थे, सोमवार की रात झारखंड से घर लौट रहे थे। कुटुंबा थाना क्षेत्र के परसावां मोड़ के पास दोस्ताना होटल के समीप एक अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल चंद्रशेखर को स्थानीय लोगों ने सदर अस्पताल पहुंचाया और घटना की जानकारी उनके परिजनों को दी।

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हालत गंभीर होने पर उन्हें बनारस के ट्रामा सेंटर रेफर किया गया। वहां सुधार न होने पर परिजन उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल लेकर गए, जहां शनिवार शाम इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

एक ही जगह पर पिता-पुत्र की मौत

चंद्रशेखर की मौत उसी स्थान पर हुई, जहां करीब 10 साल पहले उनके पिता नागेंद्र सिंह का भी सड़क हादसे में निधन हुआ था। उस समय चंद्रशेखर भी उनके साथ थे और घायल हो गए थे, लेकिन उनका इलाज कर उन्हें बचा लिया गया था।

15 वर्षों में हादसों ने उजाड़ा पूरा परिवार

परिवार पर दुखों का पहाड़ ऐसे ही नहीं टूटा। करीब 15 साल पहले चंद्रशेखर के भाई और भाभी की अर्थी भी एक साथ उठी थी। अब चंद्रशेखर के जाने के बाद परिवार में उनकी मां, पत्नी और दो छोटे बच्चे ही बचे हैं। चंद्रशेखर परिवार के आखिरी सहारा थे। उनकी मौत से परिवार पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

चंद्रशेखर के पिता नागेंद्र सिंह केताकी हाई स्कूल में क्लर्क थे, और उनकी मौत के बाद चंद्रशेखर को अनुकंपा के आधार पर पड़रिया प्राइमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिली थी। उनकी आय से ही परिवार का गुजारा हो रहा था।

गांव में छाया मातम

चंद्रशेखर की मौत से पूरे गांव में मातम का माहौल है। हर किसी की आंखें नम हैं। हादसे के बाद परिजनों ने उनके शव को सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

पिछले 15 सालों से यह परिवार हादसों का शिकार होता रहा है। अब परिवार के पास न कोई सहारा बचा है और न ही रोजी-रोटी का ठिकाना। गांव के लोग इस घटना को लेकर स्तब्ध हैं और परिवार की स्थिति को लेकर चिंतित हैं।

Edited By: Parakh Khabar

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