जीजा-साली के रिश्तों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अनैतिक, लेकिन बलात्कार नहीं

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीजा और साली के बीच संबंधों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे संबंध अनैतिक हैं, लेकिन यदि महिला बालिग है और संबंध सहमति से बने हैं, तो इसे बलात्कार नहीं माना जा सकता।

यह फैसला जस्टिस समीर जैन की पीठ ने सुनाया, जिसने धारा 366, 376, और 506 आईपीसी के तहत दर्ज मामले में आरोपी (जीजा) को जमानत दी। आरोपी पर अपनी साली को शादी का झूठा वादा कर बहलाने और अवैध संबंध बनाने का आरोप था।

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मामले का विवरण

आरोपी को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया था। आरोपी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कथित पीड़िता बालिग है और उसने प्रारंभिक बयान (CrPC की धारा 161 के तहत) में आरोपों से इनकार किया था। हालांकि, बाद में उसने (CrPC की धारा 164 के तहत) बयान बदलकर अभियोजन पक्ष का समर्थन किया।

कोर्ट ने यह भी पाया कि कथित पीड़िता और आरोपी के बीच सहमति से अवैध संबंध बने थे। जमानत का विरोध कर रहे सरकारी वकील भी इस तथ्य से इनकार नहीं कर सके कि महिला बालिग थी और रिकॉर्ड से यह स्पष्ट नहीं होता कि उसने सहमति नहीं दी थी।

कोर्ट की टिप्पणी और फैसला

जस्टिस समीर जैन की बेंच ने कहा कि जीजा और साली के बीच संबंध अनैतिक जरूर हैं, लेकिन पीड़िता बालिग होने के कारण इसे कानूनी तौर पर बलात्कार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने आरोपी के आपराधिक इतिहास न होने और गिरफ्तारी के बाद से लंबित मामले को देखते हुए उसे जमानत देने का आदेश दिया।

यह फैसला सहमति, नैतिकता और कानून के बीच के अंतर को स्पष्ट करता है। कोर्ट ने कानून के तहत बालिग महिला की सहमति को प्राथमिकता दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि समाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से ऐसे संबंधों को स्वीकार्य नहीं माना जा सकता।

Edited By: Parakh Khabar

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