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सुरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र
हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) भू-राजनीति के लिए हाल के दिनों में निर्णायक बन गया है। क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी, सामरिक उद्देश्यों के लिए उसकी आर्थिक भागीदारी और भू-राजनीतिक हसरतों ने आईओआर में अमेरिका, रूस, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसी ताकतों की दिलचस्पी बढ़ा दी है।
सम्मेलन में भाग लेने गए विदेश मंत्री ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग से शुक्रवार को मुलाकात की और द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, पश्चिम एशिया की स्थिति और अन्य क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। सम्मेलन में 22 से अधिक देशों के मंत्री, 16 देशों के वरिष्ठ अधिकारी और 6 बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन का विषय है- स्थाई और सतत हिंद महासागर की ओर।
गौरतलब है कि सम्मेलन क्षेत्र के महत्वपूर्ण राज्यों और प्रमुख समुद्री साझेदारों को आम मंच पर लाने का प्रयास करता है ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (एसएजीएआर) के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा सके। हिंद महासागर सम्मेलन (आईओसी) 2016 में शुरू हुआ था और पिछले वर्षों में यह क्षेत्रीय मामलों पर क्षेत्र के देशों के लिए प्रमुख परामर्शदात्री मंच के रूप में उभरा है।
हिंद महासागर क्षेत्र प्रमुख शक्तियों के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के लिए आकर्षण का केंद्र है। प्रतियोगिता में रणनीतिक हित, प्रभाव और संसाधनों तक पहुंच शामिल है, जिससे तनाव और संघर्ष होते हैं। चीन हिंद महासागर में भारत के हितों और स्थिरता के लिए चुनौती रहा है। भारत के पड़ोसी चीन से सैन्य और ढांचागत सहायता प्राप्त कर रहे हैं।
ऐसे में हिंद महासागर क्षेत्र में सभी भागीदारों के हित के लिए ये ज़रूरी है कि वो एक साथ रहें और इस क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता के सामूहिक हित के लिए काम करें। देशों को अपनी सामाजिक संरचना की रक्षा करते हुए उग्रवाद और कट्टरवाद से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए आवश्यक समाधान सुनिश्चित करना चाहिए। सुरक्षित और स्थिर हिंद महासागर क्षेत्र के लिए आवश्यक सोच, नीति और दृष्टिकोण में प्रमुख बदलाव के साथ ही कई व्यावहारिक कदम उठाए जाने की भी आवश्यकता है।