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आत्मनिरीक्षण का मौका
गणतंत्र दिवस सिर्फ एक आयोजन भर नहीं बल्कि आत्मनिरीक्षण का मौका है। यह दिन हमारी प्रगति का जायजा लेने और उभरती चुनौतियों के क्षितिज को मापने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। साथ ही भारत की यात्रा, पहचान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उत्सव है जो इसकी विविध आबादी को एकता के सूत्र में बांधे रखता है।
किसानों की बेहतरी लिए सरकार ही नहीं, विपक्ष भी चिंतित है और खेती को फायदेमंद बनाने के रास्ते खोजे जा रहे हैं। महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ी है। इस बार परेड में पहली बार महिलाओं के त्रि-सेवा दल को भी कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए देखा जाएगा। हमने पिछले 75 वर्षों में पर्याप्त दूरी तय कर ली है, लेकिन संघर्ष के दिन समाप्त नहीं हुए हैं।
पाकिस्तान आतंकवादियों को शरणस्थली प्रदान करता आ रहा है। आने वाले वर्षों में इस पड़ोसी की शत्रुता को बेअसर करना भारत के लिए प्रमुख चुनौती रहेगा। दरअसल चुनौतियां हमेशा बनी रहती हैं, इसीलिए कहा गया है कि सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता की गारंटी है।
राष्ट्रीय दिवस हमें यही याद दिलाने के लिए आते हैं तो गणतंत्र दिवस इस संकल्प का अवसर है कि हमारे संविधान ने जो रास्ता तय किया, उसे सुरक्षित रखने और उस पर आगे बढ़ने के लिए हम सतत सतर्क रहेंगे। गणतंत्र दिवस पर फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैनुएल मैक्रों का आना हमारे लिए अपने सफर को जांचने का खास अवसर है। गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि की यात्रा प्रतीकात्मकता से भरी होती है।
यह भारत और आमंत्रित राष्ट्र के बीच संबंधों को बनाने और नवीनीकृत करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार इसका राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व भी अधिक है। विश्व में भारत की पहचान आज एक सक्षम और मजबूत जनतांत्रिक देश की है।
भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अधुनातन स्थिति में है। यही वजह है कि दुनिया हमारी ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। यह हमारे विकास व विस्तार की मजबूती का प्रतिफल है। हमारी कई सफलताओं से दुनिया चकित है। इसके बावजूद यह निश्चिंत होकर बैठने का वक्त नहीं है।