- Hindi News
- संपादकीय
- बजट से उम्मीदें
बजट से उम्मीदें
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को बजट सत्र के उद्घाटन अवसर पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में कहा कि एक देश तेज गति से तभी प्रगति कर सकता है जब वह अतीत की चुनौतियों को हरा दे और भविष्य के निर्माण में अधिकतम ऊर्जा लगाता है।
हालांकि बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं होगी क्योंकि यह आम चुनाव से पहले लेखानुदान होगा। सरकार जो अंतरिम बजट पेश करेगी वह सिर्फ तब तक के लिए सरकारी खर्चों को पूरा करने के वास्ते होगा जब तक कोई नई सरकार नहीं बन जाती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि जब चुनाव का समय निकट होता है, तब आमतौर पर पूर्ण बजट नहीं रखा जाता है, हम भी उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए पूर्ण बजट नई सरकार बनने के बाद लेकर आएंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाला अंतरिम बजट, सत्ताधारी पार्टी के लिए मुफ्त एवं लोकलुभावन योजनाओं के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है। वर्ष 2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में भी ऐसा होते देख चुके हैं। ‘किसान सम्मान निधि’ योजना की घोषणा फरवरी 2019 के अंतरिम बजट में ही की गई थी। उसके दो महीने बाद लोकसभा के चुनाव हुए थे।
सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के मुताबिक लोकसभा चुनाव में इस योजना ने खेल परिवर्तक की भूमिका निभाई। मौजूदा लेखानुदान में क्या होगा, किन योजनाओं की घोषणा की जा सकती है, उनकी अटकलें ही लगाई जा सकती हैं, लेकिन देश के सामने जो समस्याएं और चुनौतियां हैं, उनके आधार पर विश्लेषण किया जा सकता है।
दुनियाभर में गंभीर संकट के बीच भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और पिछली लगातार दो तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर साढ़े सात प्रतिशत रही है। बेशक भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना के बावजूद बेहतर स्थिति में है, लेकिन रोजगार, नौकरी, असमानता और देश पर कर्ज का बोझ आदि ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें अब बजट के जरिए गंभीरता से संबोधित किया जाना चाहिए।