शिक्षक दिवस पर किताबें जलाने की घटना की जांच कराने की बात बीएसए ने कही
बाराबंकी। कुछ क्षेत्रों में बच्चों को किताबों से वंचित रखा जाता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में किताबों में आग लगा दी जाती है।
बाराबंकी। कुछ क्षेत्रों में बच्चों को किताबों से वंचित रखा जाता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में किताबों में आग लगा दी जाती है। पूरा मामला जिले के सूरतगंज शिक्षा क्षेत्र के कम्पोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय बसौली का है, जहां शिक्षकों ने छात्रों की पाठ्यपुस्तकों को जला दिया। इस खास दिन पर पूरे देश ने शिक्षक दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विद्यालय के प्रभारी शिक्षक ने विद्यालय परिसर में छात्रों को पढ़ाई के दौरान किताबों में आग लगा दी। किताबों से आग की लपटें निकल रही थीं। हर तरफ धुआं ही धुआं था।
शिक्षकों को हमारे माता-पिता के बाद जीवन में सही राह दिखाने वाला माना जाता है। और उनका महत्वपूर्ण प्रभाव भी होता है। वे हमें न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि वास्तविक दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जरूरी साहस भी देते हैं। हालांकि, यह दृश्य वैसा नहीं है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के प्रयास में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित है। इसके तहत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ कई योजनाओं का लाभ भी मिलता है।
बच्चों को पढ़ाई के लिए मुफ्त किताबें और कॉपियाँ मिलती हैं, साथ ही दोपहर का भोजन और कपड़े भी मिलते हैं। जलती हुई किताबों से निकलने वाला धुआँ और लपटें खुद ही सच्चाई का सबूत थीं। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी सूरतगंज संजय कुमार को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बातचीत करने पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा, "मेरे पास कोई जानकारी नहीं है, इसकी जांच की जाएगी।"
What's Your Reaction?